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कोरोना का संकट

                                                                              रिया जैन

                                                                                  ४ गीर

 

२०१९ की बात हैं, एक बहुत ही असामान्य वाइरस का जन्म चीन के एक छोटे से शहर वुहान में हुआ| वुहान के एक बाज़ार में तरह – तरह के जानवरों का मॉस बेचा जाता था|  इसी बाज़ार में कोरोना वाइरस का जन्म हुआ| कहा जाता है कि किसी एक जानवर में वह वाइरस होगा और जब किसी ने उसे खाया, तो उस व्यक्ति को भी कोरोना हो गया होगा| फिर जो जो व्यक्ति उसके संपर्क में आते गए, उन्हें कोरोना होता चला गया और वो उसे दूसरों को फैलाते चले गए| इस प्रकार, घातिय गति से बढ़ते हुए, देखते ही देखते कोरोना एक सर्वव्यापी महामारी बन गया!

 

चूँकि कोरोना २०१९ एक नए प्रकार का वाइरस था, इसके ऊपर इस से पहले कोई शोध भी नहीं हुआ था| अतः इसका कोई इलाज भी संभव नहीं था| संसार के विभिन्न देशों, उनकी सरकारों और कई निजी कंपनियों ने इसके ऊपर शोध तो प्रारंभ कर दिया, किन्तु मनुष्यों पर कोई भी प्रमाणिक इलाज या वैक्सीन, मानव परीक्षणों के उपरांत कम से कम ६ से ९ माह दूर थे| अतः उस समय यह अति आवश्यक था कि अधिकाधिक् सावधानी बरती जाये|

                        

उपरोक्त कारण से यह अति आवश्यक था की हर कोई अपनी स्वच्छता का ध्यान रखे,  दिन में कई बार कम से कम  २० सेकेण्ड तक हाथ धोये, हैण्ड सैनिटाइज़र, फेस मास्क और   डिस्पोसेब्ल हैण्ड ग्लव्स का प्रयोग करे, सबसे उचित दूरी बनाये रखें और अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाये| सामजिक दूरी बनाने के उद्देश्य से  लगभग सभी देशो में लॉकडाउन कर दिया गया जिसके चलते कोई भी बिना वजह अपने घर से बाहर नहीं निकल सकता, सिर्फ आवश्यक वस्तूएं लेने जा सकते हैं लेकिन वह भी मास्क के बिना नहीं!

स्कूल, दफ्तर, दुकाने, कारखाने अदि बंद कर दिए गए|

 

स्कूल अब ऑनलाइन हो गए,  हमारा पार्क में खेलना अब बंद हो गया, दूसरों के घर आना – जाना बंद हो गया, कहीं घूमने जाना बंद हो गया, बाहर कुछ खाने नहीं जा सकते, किसी भी तरह के मनोरंजन के लिए बाहर जाना अब संभव न था| दुनिया बहुत उबाऊ हो गई थी और मैं घर में बहुत बोर हो रही थी! एक दिन तो मुझे घर पर रहते–रहते घुटन हो गई! यह तो अच्छा हुआ की मेरी नानी का घर मेरी सोसईटी में ही था और मैं ४-५ दिन के लिए उनके यहाँ चली गयी| मैंने और मेरी मम्मी ने वहां अलग–अलग तरह के केक बनाये| मैंने वहां पर नानी से कई कहानियां भी सुनी|

हालाँकि अब मैं इस नई दिनचर्या की कुछ-कुछ आदी भी हो गई हूँ  किन्तु फिर भी मैं अपने स्कूल, अध्यापक, ‌‍अध्यापिकाओं, मित्रो को बहुत मिस करती हूँ| आशा करती हूँ की जल्द से जल्द चिकित्सक कोरोना का इलाज ढून्ढ लेंगे और इसकी वैक्सीन बना लेंगे , ताकि  हम सब वापिस स्कूल जा सकें| 

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