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मेरा अनुभव 

   

 

                                                                           

लॉकडाउन में शिवेन 

यह साल मेरे लिए बहुत ही रोमांचक, मजेदार और प्रेरणाशील था | मैंने विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन कक्षा में बहुत कुछ नया सीखा जो मुझे पहले कभी मालूम नहीं था | यह साल मैं अपने सभी दोस्तों और अध्यापिकाओं से ऑनलाइन मिला, और इसी तरह मैं जब भी अपने आप को अकेला पता तो यह ज़रिया मुझे अपनों से मिला देता | मैंने इस तलाबंदी में कई नई-नई चीज़ें सीखी जैसे – अभिनय करना, खाना पकाना, चित्रकला, आत्मनिर्भर होना, अपनी माता जी को उनके कार्य मे मदद करना, नई ‘एप्प’ और ‘सॉफ्टवेर’ को जानना और समझना, कोडिंग जैसी रोमांचक चीज़ सीखना आदि |  

जब मुझे हफ्ते में तीन दिन क्रिकेट ट्रेनिंग अभ्यास के लिए स्कूल जाने का अफसर मिला तो मैं फूला न समाया क्योंकि इसके कारण मैं अपने स्कूल को देख सकता था और तो और अपने कुछ दोस्तों से भी मिल सकता था| फिर एक दिन मेरा ख़ुशी का ठिकाना न रहा जब मैं पहली बार अपनी अध्यापिका अन्जीलेना मैम से मिला | मैं इनसे पहले कभी नहीं मिला था केवल ऑनलाइन कक्षा में ही देखा था और मेरा यह उनके साथ पहला अनुभव बहुत ही अच्छा था |  

इस साल हमने नई तरीके से ऑनलाइन कक्षा मैं एक दूसरे का जन्मदिन मनाया| मैं सभी के लिए अपने गिटार और पियानो के साथ अपने दोस्तों को जन्मदिन की बधाईयाँ देता और हम सब खूब मज़े करते | इस तलाबंदी के दौरान हमारी सभी अद्यापिकाओ ने ऑनलाइन कक्षा में हमारा मन लगाए रहने के लिए बहुत परिश्रम किया | बहुत सी नई-नई प्रश्नोत्तरी, नियर पोड, कहूत जैसे रोमांचक चीज़ो का इस्तेमाल किया इससे हमारा मन पढ़ने में लगा रहता | इसी कारण हमारा यह कठिन समय बहुत ही आसानी से व्यतीत हो पाया| उनकी मदद के बिना यह संभव हो पाना बहुत ही मुश्किल होता | अब तो मैं सब कुछ जल्द ही ठीक होने का इन्तेजार कर रहा हूँ, ताकि मैं फिर से अपना स्कूल जा सकूं और अपने दोस्तों और अध्यापिकाओ से मिल कर खूब धूम मचा सकूं | अतः मेरा  अनोखा साल बहुत ही अच्छा और मज़ेदार था | और तो और हर दिन कुछ नया सीखने का मौका देता था | 

 

शिवेन राज कंदोई

५ गीर 

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लॉकडाउन में व्योम 

पिछले वर्ष मेरा अनुभव कुछ अनोखा था और मज़ेदार  भी था। अन्य सालों से यह अनुभव बहुत अलग रहा क्योंकि  कोरोना की वजह से  लॉक डाउन लग गया था। वह अप्रैल से अक्टूबर तक चला और उसके बाद लोग नियमों का उल्लंघन करने लगे। मैंने पहले तो अपने पापा के लैपटॉप से कक्षाएं की थी। मई से मैंने “अपने लैपटॉप” से कक्षा करना शुरू कर दिया और तब से  मैं वही लैपटॉप इस्तेमाल कर रहा हूँ। लॉक डाउन  लगने से कुछ ही दिन पहले मेरे छोटे भाई का जन्मदिन था जो हमने अच्छे से मनाया  था| बहुत से लोग हमारे घर आये थें। जब मैं उस समय के बारे में सोचता हूँ तो ऐसा लगता है कि  वो समय अब दोबारा कब आएगा।  मैंने यह भी सीखा कि  गूगल फॉर्म्स भी कुछ होता है। फाइल्स,वर्ड,पावर पॉइंट आदि भी बच्चों के काम आता है। पहले मुझे लगता था कि  यह तो सिर्फ बड़ों के कार्यालय में और मेल भेजने के काम आता है|  धीरे-धीरे चीज़ें बदलने लगी और ऑनलाइन खरीदारी शुरू हो गयी , तो हम अलग-अलग चीज़ें, सामान और खाने-पीने की वस्तुएं घर बैठे-बैठे मंगवाने लगे।  फिर मेरे पापा का कारखाना भी शुरू हो गया और वह रविवार को छोड़कर हर दिन अपने ऑफिस जाने लगे।  फिर कोरोना के केस कम होते गए और डर धीरे - धीरे छूमंतर होने लगा।  फिर हम कई बार मॉल और बाज़ार  जाने लगे और मैं बहुत से खिलौने और रोचक किताबें लेकर आया।  इस तरह से मेरी पढ़ने में रूचि बढ़ गयी और इस वर्ष का यह मेरा अनोखा अनुभव रहा| 

आपका बहुत धन्यवाद!!!

 

व्योम गुप्ता 

३ - रनथम्बोर 

लॉक में अरजवीर 

मेरा नाम अरजवीर हैं । मैं कक्षा ३ रणथमबोर का छात्र हूँ । मैं अपना करोना काल का अनुभव बताना चाहता हूँ। मेरा अनुभव २०२० का इतना भी अच्छा नहीं था क्योंकि पूरे साल मैं अपने दोस्तों से नहीं मिल पाया पर मैंने तकनीकी के बारे में नई-नई बातें सीखी। घर पर रहकर  मैंने अपने माता- पिता के साथ बहुत अच्छा समय बिताया। मैंने अपनी चीजों को व्यवस्थित रखना सीखा। मैंने कई अच्छी किताबें पढ़ीं। लाॅकडाउन के दौरान मैंने जाना कि घर पर रहकर ऑनलाइन पढ़ाई की जा सकती हैं जिसमें  मुझे बड़ा मजा आया।लाॅकडाउन में मुझे अपने माता-पिता से सुन्दर उपहार मिला क्योंकि मैंने उनका कहना माना और बाहर  जाने के लिए ज़िद्द नहीं की। मेरी आदरणीय अध्यापिकाओं ने मुझे बहुत प्यार से पढ़ाया। २०२० वर्ष मेरी जिंदगी का अहम और यादगार वर्ष रहेगा।

 

अरजवीर सिंह 

३ - रणथमबोर 

लॉकडाउन में मायरा  

नमस्ते !  मेरा नाम मायरा है। मैं ४ सरिस्का की छात्रा हूँ| मैं आप सभी को अपने लॉक डाउन का अनुभव बताने जा रही हूँ। हम बिल्कुल भी बाहर नहीं जा पा रहे थे , दोस्तों से नहीं मिल पाए और यह मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। पर हमारी ऑनलाइन क्लासेज़ चल रही थीं। हमने ऑनलाइन क्लासेज़ में उपकरण चलाना, अपने काम को अपलोड करना सीखा। जब कभी लाइट चली जाती थी तो क्या करना है, हमने यह भी सीखा।

लॉकडाउन में मैंने बहुत सारी चीज़ें की जैसे  थाली बजाना, दीए जलाना, हाथों को साफ़ रखना इत्यादि। घर पर रहकर मैंने घर के कामों में मेरी माँ की मदद करते हुए  नई – नई चीज़ें भी सीखी जैसे- पौछा लगाना, चना बनाना, झाड़ू लगाना। घर पर रह कर हमने अपने परिवार के लोगों के साथ ज़्यादा समय बिताया। हमने एक दूसरे का साथ भी दिया। मुझे लॉक डाउन की सबसे अच्छी बात यह लगी कि उस समय में हम घर में बहुत सारा राशन भी इक्ट्ठा करके रखते थे। हम बाल्कनी में खड़े होकर पड़ोसी से घंटों बातें करते थे।

मायरा गुप्ता 

४ - सरिस्का 

लॉकडाउन में सात्विक 

पिछले वर्ष मार्च में जब लॉक डाउन लगा तो उसकी ख़बर सुनकर मेरे पेट में दर्द होता था| जब कोरोना शुरू हुआ तब मैं यू.के से भारत लौटा| एअरपोर्ट पर देखा कि सबने मास्क पहना हुआ है तो मैं सोच में पड़ गया| 

सबके स्कूल बंद हो गए थे और मेरा स्कूल भी बंद हो गया था| मैं डर गया कि मैं ऑनलाइन में कैसे पढूँगा ? मैं बहुत दुखी था| पर बाद में ऑनलाइन कक्षा में मज़ा आने लगा| मैंने लॉकडाउन में बहुत- सी चीज़े सीखी जैसे – केक बनाना, चाय बनाना, बहुत अच्छा और विस्तृत चित्र बनाना| मैंने बहुत सारा क्राफ्ट भी बनाया| 

लॉकडाउन में हम घर पर ही खेलते थे क्योंकि न हमें अपने दोस्तों के साथ खेलने को मिलता था न ही घर के बाहर या पार्क जाने को मिलता था | माँ घर पर ही सारे पकवान बनाती थीं | मै अपनी माँ की खाना बनाने में और घर की साफ़-सफ़ाई में मदद करता था क्योंकि काम वाली आंटी नहीं आती थीं|

मैं लॉकडाउन का यह अनुभव कभी नहीं भूलूँगा|

सात्विक मिश्रा

४ कॉर्बेट    

लॉकडाउन में कुरुष 

लॉक डाउन का मेरा अनुभव बहुत अच्छा था| इन दिनों मैंने बहुत सी चीज़े की और सीखी भी| मैंने बैडमिंटन खेलना सीखा और अब मैं बहुत अच्छा बैडमिंटन खेलता हूँ| 

इस लॉकडाउन में हम सबको अपने परिवार के साथ बहुत समय बिताने को भी मिला| हम बच्चों ने पहली बार वर्चुअल दुनिया की इतनी बातें जानी|

मैं लॉकडाउन खुलने के बाद कोलकाता भी गया था| मैं और मेरे पापा अपनी ‘आई – 20’ कार में एकसाथ गए थे| 

मैंने लॉकडाउन में सीखा कि बुरा समय हमेशा इतना भी बुरा नहीं होता और हर चीज़ में कुछ न कुछ अच्छाई छिपी होती है|

 

कुरुष बिश्वास

५ कॉर्बेट

 

लॉकडाउन में समायरा 

मेरा नाम समायरा है| मैं ८ वर्ष की हूँ| मैं तीसरी कक्षा मैं पढ़ती हूँ| 

लॉकडाउन के कारण मैं अपने स्कूल नहीं जा पाई इसलिए मेरी ऑनलाइन कक्षा होने लगी| ऑनलाइन कक्षा तो अच्छी थी पर मुझे अपने स्कूल की कमी महसूस होती थी| | मेरे सभी शिक्षक और शिक्षिकाएँ बहुत अच्छे हैं| 

मैंने इस लॉक डाउन में ग्रीन टी बनानी सीखी| मुझे ऐसा साल कभी नहीं चाहिए|

 

समायरा गुप्ता

३ कॉर्बेट 

 

लॉक डाउन में नायशा 

मेरा नाम नायशा है| मै कक्षा ३ की छात्रा हूँ| २०२० के कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया| इस अजीब बीमारी कोरोना की वजह से पूरी दुनिया अपने-अपने घरों में बंद थीं| सभी ऑफिस, स्कूल, हवाई जहाज़, ट्रेन, बस आदि बंद कर दिए गए थे| मैं अपनी नानी के घर में एक महीने के लिए फँस गई थी | वहाँ मैंने साइकिल चलाना सीखा |

इस महामारी में हमें बहुत सावधानी बरतनी थी जैसे- फेस मास्क पहनना, अपने हाथों को बार-बार धोते रहना| इस साल हमने सामाजिक दूरी का पालन भी किया| इसी वजह से हमारी अध्यापिकाओं ने ऑनलाइन प्लेटफार्म की मदद से कक्षा ली|

मैं इस अनोखे वर्ष को कभी नहीं भूलूँगी | काश! यह वायरस कभी वापिस न आए |

 

नायशा सिंह 

३ कॉर्बेट 

लॉकडाउन में ईशान 

मैंने शिव नादर स्कूल के कक्षा ५ में प्रवेश किया। कोरोना वायरस की वजह से स्कूल नहीं जा पाया और मेरी मुलाकात मेरी शिक्षकों और सहपाठियों से ऑनलाइन ही हुई। पहले महीने थोड़ा समय लगा इन नई तरकीबों से ने में पर धीरे -धीरे मैं ढल गया। ऑनलाइन कक्षा में आनंद लेने लगा। हमें वीडियो ,पी पी टी आदि माध्यमों से पढ़ाया गया। ऑनलाइन कक्षा में संगीत और क्रिकेट भी सीखा। क्लास के बाद मैं अपने मित्रों के साथ सायक्लिंग करता और क्रिकेट भी खेलता था। यह साल बिल्कुल ही अलग था और ऐसा अचानक से हमें बिलकुल बदलना पड़ा। मैं चाहता हूँ की कोरोना ख़त्म हो जाये ताकि में स्कूल जा पाऊं और नय शिक्षकों और मित्रों से मिलूं। 

 

ईशान कुमार

​५ गीर

लॉकडाउन  में जाह्नवी

मैंने लॉकडाउन  शब्द पहली बार सुना था, जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने 23 मार्च 2020  को पूरा  शट-डाउन कर दिया था। इस लॉक डाउन में हम सभी में काफी बदलाव आए हैं जैसे हम बिल्कुल बाहर नहीं जा पाते थे, कर्मचारी नहीं आ रहे थे और इसी वजह से मेरी मम्मी को सारा काम स्वयं करना पड़ता था| ऐसी ही कई और चीजें भी थी जो बदल गई थी| इसका सबसे ज्यादा प्रभाव तो मेरी शिक्षा पर पड़ा क्योकिं हम स्कूल नहीं जा पाते थे| तभी हम को पहली बार ऑनलाइन  कक्षा के बारे  में बताया गया ।कभी-कभी नेट्वर्क न आने की वजह से हमें कुछ नहीं समझ आता था ।

बेचारी हमारी शिक्षिकाएँ, उनके लिये तो ये समय कितना मुश्किल रहा होगा। उन्हें तो अपना परिवार, काम और कक्षा, तीनों काम संभालने पड़ते थे। मैंने इस समय जो छुट्टियाँ मिली, उनका काफ़ी अच्छे तरीके से इस्तेमाल किया जैसे -परिवार के साथ बहुत सारा समय बिताया, अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए योगा किया| हाँ मेरी चित्रकारी भी  बहुत बेहतर हो गई| मैं उस समय को हमेशा याद रखूँगी जब योगा प्रतियोगिता में प्रथम आई । हमें दस आसन करने थे जिनमें से कुछ ये हैं ।

इस लॉकडाउन से मैंने यह भी सीखा कि हम सभी को सब्र रखना चाहिए। धीरे-धीरे समय पहले से तो काफ़ी बेहतर है और मुझे पूरा यकीन है कि सब कुछ पहले जैसा हो जायगा| हम सब पहले की तरह एक दूसरे के साथ खुलकर हँस , खेल और घूम  सकेंगे|  

 

जाह्नवी श्रीधर

५ कान्हा                                     

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लॉकडाउन में दिविशा गर्ग

मेरा नाम दिविशा है| मैं ३ सरिस्का में पढ़ती हूँ| मैं आपको अपना लॉक डाउन का अनुभव बताना चाहती हूँ| लॉकडाउन में मुझे अपने परिवार के साथ समय बिताना, सबसे अच्छा लगा| मैं अपने परिवार के साथ खूब खेलती थी| लेकिन मुझे लॉकडाउन में अपने दोस्तों और स्कूल की बहुत याद आती थी| ऑनलाइन कक्षा ने वो कमी पूरी कर दी| जब कक्षा शुरु हुई थी तो मैं लैपटॉप और कंप्यूटर के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी| धीरे-धीरे मैंने ये सब सीख लिया, अब मुझे आदत हो गई| अपनी ऑनलाइन कक्षा मैं खुद लेने लगी हूँ| मैंने लॉकडाउन में बागवानी की, केक बनाया और कागज़ की चीज़े भी बनाई|

लॉक डाउन में मुझे यह सीख भी मिली कि परिवार हमारे लिए कितना महत्त्व रखता है, हम कितने भी व्यस्त क्यों न हो, हमें थोड़ा समय अपने परिवार के साथ अवश्य बिताना चाहिए| अब हम सब एक नए बदलाव के साथ मास्क पहनकर और दूरी रखकर अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं और इस महामारी में अपना बचाव कर सकते हैं|

दिविशा गर्ग

३ सरिस्का

लॉकडाउन में मायरा

मेरा नाम मायरा खट्टर है। २०२० साल बहुत ही विचित्र था। इस साल हम सब ने कई तरह की भावनाएं महसूस कीं। कई नयी चीज़ों का भी अनुभव हुआ।

मैंने लैपटॉप चलाना सीखा और नयी-नयी किताबें पढ़ीं। माँ के साथ खाना बनाया। दादी के साथ मोती पिरो कर हार बनाया और रंग-बिरंगे खुशबूदार साबुन भी बनाये। अपने परिवार के साथ खेल खेले। अपनी ऑनलाइन क्लास में हमने बहुत सारी नयी चीज़ें सीखीं। मैंने अपने माता और पिता के साथ खूब मज़े किये। पिताजी के साथ पौधे लगाए। मैं रोज़ टीवी पर एक नयी शैली देख कर बनाती थी। मेरे घर में एक नया सदस्य आया।  वह एक बहुत प्यारा कुत्ता है, मैंने उसका नाम 'स्काई' रखा है। अब में दिन भर उसका ध्यान रखती हूँ और वह मेरे साथ कई तरह के खेल खेलता है। भले ही यह साल बहुत मुश्किल था पर अपने परिवार के सहयोग से सारा समय अच्छा स्वस्थ और सुखमय बीत रहा हो।

मायरा खट्टर

​३ रणथमबोर

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लॉकडाउन में शिवांश भाटिया

सभी को दुनिया की महामारी करोना के बारे में पता होगा | ये बहुत जानलेवा महामारी है| इसी करोना वायरस की वजह से हम सभी को लॉकडाउन में रहना पड़ा| आज मैं आपको लॉकडाउन का अपना अनुभव साझा करना चाहूँगा| लॉकडाउन में मेरा अनुभव ज्यादा अच्छा नहीं था क्योंकि  लॉकडाउन होते ही हमें यह  पता चला कि सभी स्कूल दुकानें, बाज़ार बंद हो गए हैं| मुझे अपने स्कूल की बहुत याद आती थी क्योंकि जब मैं अपनी कक्षा में जाता था तब मुझे  ज्यादा अच्छा  समझ आता था और ज्यादा  मज़ा भी आता था|  फिर  एक दिन मेल आई और पता  चला  कि कक्षा  वापिस  शुरू  हो  रही  है  पर  ओॅनलाईन |  शुरुआत में मैं थोड़ा चिंतित  था पर  जब मैंने ओनलाइन कक्षा में पढ़ना शुरु किया  तब  मुझे  बहुत  मज़ा  आया और  ऐसे  ही  अब  पूरा  एक  साल  हो गया | जैसे  ही  चार  बज जाते   वैसे   ही  मैं साइकिल  चलाता | उसके  बाद  पाँच बजे  मैं पापा  के  साथ  कैरम  खेलता  फिर रात में सोने से पहले हम सब मिलकर रामायण  और  महाभारत  देखते | इस  सबमें  मुझे  मज़ा तो आया था ,मगर साथ ही साथ मैंने  कई  चीज़े सीखी जैसे अपनों  के  साथ समय बताना और चित्र  बनाना | सचमुच मेरा  यह  साल  बहुत मज़ेदार और  यादगार रहा|

शिवांश भाटिया

५ कान्हा

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