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​कहानियों की समीक्षा

कहानी- बिशन की दिलेरी

लेखिका- प्रतिभा नाथ

कहानी: ​https://www.youtube.com/watch?v=Uucpw7YJNEs

 

कहानी की समीक्षा

 

यह कहानी एक १० वर्ष के साफ़ दिल लड़के बिशन पर आधारित है| बिशन हर रोज़ कर्नल दत्ता के फार्म हाउस जाता था| उनकी पत्नी उसकी पढ़ाई में मदद करती थी| एक दिन बिशन जब पगडंडी से सड़क तक आ ही रहा था, अचानक उसे गोली चलने की आवाज़ आई | वह एक वृक्ष के पीछे छिप गया | वहाँ से उसे खेत साफ़ दिखाई दे रहे थे| बिशन को गोली चलने का रहस्य समझ आ ही गया | जब फसल पक जाती है तब गेहूँ के खेतों में दाना चुगने ढ़ेरों तीतर आ जाते है | शिकारी वे जानते थे | इसलिए वे सुबह-सुबह तीतरों को मारने चले आते हैं| उस दिन बिशन ने भी एक घायल तीतर को अपनी जान की परवाह किए बिना शिकारियों से बचाया था|

मेरा सोच- मुझे यह कहानी बहुत अच्छी लगी क्योंकि बिशन ने इस कहानी में बहादुरी दिखाई और शिकारियों का डट कर मुकाबला किया|

मनपसंद पात्र -मुझे सबसे अच्छा पात्र बिशन लगा क्योंकि  उसने कुछ तीतरों को उन शिकारियों से बचाया| वो पक्षियों से प्यार करता था|

सीख - हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि मुशकिल में पड़े जानवरों की मदद करनी चाहए और उन्हें मारना नहीं चाहिए| मैं इस कहानी को ४.८ सितारे देना चाहूंगी | मैं इसे सभी को पढ़ने की सलाह देती हूँ |

                         

आयशा महाजन

५ कान्हा

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पुस्तक \ कहानी का नाम : ईदगाह

लेखक : मूंशी प्रेमचंद

https://www.youtube.com/watch?v=McaB7Vx3fe0

पुस्तक \ कहानी का सारांश

ईद ने रमज़ान में ख़ुशी का महौल बना दिया है। सब ईदगाह के मेले में घूमने के लिए उत्साहित है। बच्चे वहाँ जा रहे है और उनमे से एक बच्चे का नाम हामिद है। वह बहुत गरीब है और अपनी दादी अमीन के साथ रहता है। हामिद भी एक बच्चों की टोली के साथ चल पड़ा। पहले सब बच्चे मस्जिद गए। नमाज़ पढ़ने के बाद,सब बच्चों ने मेले पर धावा बोल दिया। पहले बच्चों ने झूले झूले। परन्तु हामिद अपने क़ीमती पैसे झूलों पर खर्च नही करना चाहता था। सभी बच्चों ने खिलौने ख़रीदे पर हामिद को खिलौने ख़रीदना पैसों की बर्बादी लगी। फिर सब बच्चे मिठाईयाँ खरीदने लगे। हामिद का भी जी ललचाया पर उसने यह सोचकर खुद को समझाया कि मिठाई खना सेहत के लिए हानिकारक है। उसने अब तक अपने तीन पैसे किसी ख़ास चीज़ के लिए बचा रखे थे। फिर हामिद की नज़र एक लोहे की दुकान पर पड़ी। लोहे का चिमटा देख उसे अपनी दादी का ख़याल आया। अक्सर रोटी बनाते समय दादी के हाथ जल जाते हैं। उसे अपने पैसों से चिमटा ख़रीदना ही उचित समझा। दुकानदार से बहुत मोल-भाव करके तीन पैसे से अपनी प्यारी दादी के लिए चिमटा ख़रीद लिया। उसने अपने दोस्तों को बड़ी शान से अपना नया खिलौना ‘चिमटा’ दिखाया। अपनी बातों से अपने चिमटे को बाक़ी सब खिलौनों से बेहतर बताया। घर जाकर दादी भी हामिद के इस त्याग और प्यार की भावना से बहुत खुश हुई।

 

पुस्तक के बारे में आपकी राय:

  • पुस्तक का श्रेष्ठ अंश

हामिद ने अपने तीन पैसे अपने खिलौने, झूले और मिठाई पर खर्च नहीं किए। बल्कि उसने उन पैसों से अपनी प्यारी दादी के लिए चिमटा ख़रीदा। मेरी राय में इस कहानी का यही श्रेष्ठ अंश है।

  • कहानी की कोई ऐसी घटना जिसे आप बदलना चाहे  

हामिद के दोस्त जब उसे मिठाई के लिए चिढ़ाते हैं तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और मैं कहानी के इस अंश को बदलना चाहता हूँ।

 

आपकी संस्तुति (recommendation)

यह एक बहुत अच्छी कहानी है। इसमें एक बच्चे के त्याग, सदभाव और विवेक को बहुत अच्छे से दर्शाया गया है। कहानी के हर एक हिस्से को बहुत विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। मैं इस कहानी को १० में से १० अंक दूँगा।

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पुस्तक/कहानी का नाम : पुचकू के लिए 

लेखिका : दीपंजना पाल

https://storyweaver.org.in/stories/24875-ek-kitaab-puchakoo-ke-lie

मुझे एक किताब  के लिए अच्छी लगी क्योंकि इससे हम सभी को प्रेरणा मिलती है | इस कहानी में एक छोटी सी बच्ची है जिसमें इतनी पढ़ने के लिए लगन लगी थी कि वह किताब पाने के लिए कुछ भी कर सकती थी | इस कहानी की मुझे समस्या भी अच्छी लगी | पर सबसे अच्छी चीज़ जो मुझे बात लगी वो थी कहानी के पात्र| पात्रों के नाम बहुत रोमांचक थे| मुझे यह कहानी बहुत अच्छी लगी | मन प्रफुल्लित हो गया |

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